मेरी एक स्वरचित कविता इस संकट के समय 🙏
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| My painting during Covid 19 |
इस प्रलय के काल मे, विश्व मे, भौकाल मे
जात पात गौण है, बदल रहा भूगोल है,
कर्म की इस आस मे, मदद के प्रयास में
एक राष्ट्र एक हम, बन गया है एक वतन,
राष्ट्रभक्ति से बड़ा कोई रहा नहीं है धर्म।।
" वसुधा कुटुम्बकम" कर रहे हैं सब जतन
सुक्ष्म से इस जीव का हो रहा है पतन,
दे रहा है कोई तन, कोई दे रहा है धन
हम भी एक साथ है, एक चित्त एक मन,
राष्ट्रभक्ति से बड़ा कोई रहा नहीं है धर्म।।
नितिन हिंगले
wah wah sir me tanishq
ReplyDeleteWah! Bahut khoob likhe he 🥰🥰
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